” मदहोशी छाने लगी है ” !!
बासन्ती रंग में ,
रंग गये हैं !
हम बुत तो जैसे ,
थम गये हैं !
संग तेरा पा लिया –
पवन इतराने लगी है !!
यों खुशबुओं से ,
जादू किया !
अपने रंग में हमें ,
तर कर दिया !
डूबकर मस्तियों में –
जुल्फें बल खाने लगी हैं !!
कसमें ना टूटे ,
प्रतीक्षा अब !
इंद्रधनुष तन गया ,
धरती पे रब !
पैमाने छलके न ज्यादा –
घड़ियाँ समझाने लगी हैं !