मदलेखा छंद
देखो सावन आया, प्रेमी के मन भाया !
बंशी कृष्ण बजाओ, कोई राग सुनाओ !
वादा भूल न जाना, सैंया जी घर आना !
रो-रो रात बिताऊँ, पीड़ा पी रह जाऊँ !!
रमेश शर्मा
देखो सावन आया, प्रेमी के मन भाया !
बंशी कृष्ण बजाओ, कोई राग सुनाओ !
वादा भूल न जाना, सैंया जी घर आना !
रो-रो रात बिताऊँ, पीड़ा पी रह जाऊँ !!
रमेश शर्मा