*** मत सोच ***
मत सोच अपनों के बारे में इतना पोच
चलते चलते जब पांव में आ जाये मोच
तब बहके कदमो को सम्भालता कौन
अपने स्वार्थ से भरे होते है ना ऐसा सोच ।।
?मधुप बैरागी
मत सोच अपनों के बारे में इतना पोच
चलते चलते जब पांव में आ जाये मोच
तब बहके कदमो को सम्भालता कौन
अपने स्वार्थ से भरे होते है ना ऐसा सोच ।।
?मधुप बैरागी