मत फैला तू हाथ अब उसके सामने
मत फैला तू हाथ अब, उसके सामने।
वह कर दे मदद तेरी, वह नहीं ऐसा।।
मत झुका तू सिर अब, उसके सामने।
उसको आ जाये रहम, वह नहीं ऐसा।।
मत फैला तू हाथ ——————–।।
उससे कितनी बार कहा, तुमने दुःखड़ा।
आया नजर हमेशा वह, उखड़ा उखड़ा।।
मत कर तू गुहार उससे, हाथ जोड़कर।
उसको आ जाये शर्म, वह नहीं ऐसा।।
मत फैला तू हाथ ———————।।
वह साथ किसी का कभी, दे नहीं सकता।
वह दोस्त किसी का कभी, हो नहीं सकता।।
मत उसको तू प्यार कर, अपना समझकर।
वह निभायेगा साथ तेरा, वह नहीं ऐसा।।
मत फैला तू हाथ ———————।।
पाप है उसके मन में, वहमी बहुत है वह।
भूखा है दौलत का, अहमी बहुत है वह।।
मत उसका गुलाम बन, उसे मानकर खुदा।
वह करेगा आबाद तुम्हें, वह नहीं ऐसा।।
मत फैला तू हाथ ——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)