*** मत पूछ ***
मत पूछ मुझे महोबत ने क्या क्या दिया
बहुत से जख्म दिए कुछ और बाकी है ।।
. ?मधुप बैरागी
मत डूबो इतना कल्पनाओं में कवियों कि रवि बन जाओ
तपन दिल की है या अगन कोई और कि कवि बन जाओ
समझो जमाने को जो ताप सह पाया है सूरज का दूर से
चाँद रोशनी पा रहता दूर कहीँ एकांत दुखी ना बन जाओ
?मधुप बैरागी