मत करो हमसे यह परदा
मत करो हमसे यह परदा, सच कभी छुपता नहीं।
कह दो हमसे अपनी हकीकत, परदा यह अच्छा नहीं।।
मत करो हमसे यह परदा——————–।।
हम तो कुछ भी नहीं कहेंगे, औरों को चुप कैसे करोगे।
आखिर कब तक सच्चाई से, तुम ऐसे बचते रहोगे।।
होगी फजीहत आपकी, राज कभी छुपता नहीं।
मत करो हमसे यह परदा——————-।।
दिख रहे हैं आज आप, उम्दा हसीं महफ़िल का नूर।
पाया है आपने यह नसीब, करके किस मय का सरूर।।
मत करो हमपे यह वहम, यह शक हमपे अच्छा नहीं।
मत करो हमसे यह परदा——————-।।
कर रहे हो किसके दम पर, आप मौज आज यहाँ।
किसने अपना लहू बहाया, आपको है खबर कहाँ।।
मत करो खुद पर अहम, यह गरूर अच्छा नहीं।
मत करो हमसे यह परदा——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)