मत करिए उपहास
जिस पनघट के नीर से, सदा बुझायी प्यास !
उसका भूले से कभी, …मत करिए उपहास !!
कहाँ मिली हैं खूबियाँ, …सभी किसी के पास !
फिर क्यों हम कमजोर का, करते हैं उपहास !!
उसे दोष मत दीजिये, मत करिए उपहास !
एक दीन को है अगर, किसी मनुज से आस !!
एक दूसरे से मनुज,रखे निरन्तर आस !!
कोई है कमजोर तो,मत करिए उपहास !!
रमेश शर्मा