मतला और कुछ शेर
जब उन्हें इश्क़ न हुआ तो हमने बहाना कर लिया,
अपनी तरफ उन्हें छोड़कर सारा जमाना कर लिया।
आंसू खुशी के किस्मत में हैं ही नहीं ये सोचकर
हमने अपने दामन में ग़मों का खजाना कर लिया।
पहले एक शहर में बने ईंटो के घर मे रहता था
तुम्हारे बाद सारे जहां में ठिकाना कर लिया।
लोग कहते और हमें बुरा लगता ये सोंचकर
हमने अपना नाम ही बदनाम दीवाना करलिया।
तुम थे शायद मेरी हथेली में होकर भी न हुए
सोचकर हमने खुद से खुद को बेगाना कर लिया।
“अभिनव”