मतलबी दुनिया
लघुकथा
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मतलबी दुनिया
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क्या जरूरत थी तुझे इस बाग़ीचे में आने की ?अम्बियों का बहुत शौक है ना
तुझे पर तझे ये नही मालूम कि यहँा इंसान के रूप में शैतान बसते है। तुझे
कुछ हो जाता तो मैं मँा को क्या मुँह दिखाता बता जरा ! और आइन्दा…… यहँा कभी भूलकर भी मत आना। अरे! तुझे अभी बहुत कुछ सीखना है।…
यें दुनिया वैसी नही जैसी तू समझता है। यँहा सभी के मुख पर मुखौटे लगे..
तो तुझे तुझ जैसे तुच्छ प्राणी को कोई क्या समझेगा। चल उठ अब खोल….
अपने पंख और धीरे-धीरे उड़ान भर तभी बचेगा तू नही तो ये तुझे ढूंढ़कर..
जिवित देंखकर तुझे फिर से अपना निशाना बनायेंगें। किसी भूल में मत……
रहना कि यँहा अब कोई सिद्बार्थ तेरी या मेंरी जान बचाने आयेंगा।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड