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6 Feb 2019 · 1 min read

मतदान

कितनी भी कठनाई हो, मिले नहीं आराम,
चुनना प्रतिनिधि है हमें, लें धीरज से काम.
बार बार समझा रहे, यह पुनीत है काम,
हम विवेक से काम लें, होगा जग में नाम.
कोई भाषी हम रहें, ऐक समूचा देश,
बिना प्रलोभन से करें,लोभ नहीं लवलेश.
हम भारत के नागरिक, लोकतन्त्र पहिचान,
आस्था रक्खें हम सभी, अपना बना विधान.
इसीलिये समझा रहे, रक्खें बुद्धि, विवेक,
सोच समझ कर वोट दें, जो चरित्र से नेक.
हो स्वतन्त्र,निष्पक्ष तो, सफल रहे अभियान,
मन देना अनिवार्य है, तभी रहेगा मान.
वोट डालने से यहाँ, बनती है सरकार,
चुन कर भेझें हम उन्हें,गुणी योग्य दमदार.
मतदाता जाग्रत अगर, सुद्दढ बने सरकार,
उदासीन हम हो गये, होगा कष्ट अपार.
भृष्टाचारी यदि चुनें, तो बिगड़ेगा काम,
सालों तक हम रोंयगे, वे जोड़ेंगे दाम.
ऐसी हो जन भावना, जाएँ अच्छे लोग,
जन प्रतिनिधि समझें हमें,तो होगा उपयोग.

Language: Hindi
466 Views
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