Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 4 min read

मडमिंग (गोंडी विवाह) की संकल्पना

मडमिंग में दो चीजो का बहुत ही अधिक महत्त्व होता है मंडा और मड़ा। घर के आगे खूंटो को गाड़कर उस पर जामुन के पेड़ की पत्तेदार डालियों से जब तक मंडा (मंडप) नहीं छाया जायेगा और जब तक दो विषम गोत्र के रिश्तेदार लोग जंगल से सालय मड़ा (पेड़) को अपने कंधे में रखकर मंडा तक लेकर नही आयेंगे जब तक मडमिंग की प्रक्रिया अधूरी है। क्योंकि सात भवर (फेरे) सालय मड़ा को ही साक्षी मानकर प्राकृतिक दिशा में लगाया जाता है |

मड़मिंग जीवन की एक महत्वपूर्ण पहलु है | जो हर लड़का – लड़की के जीवन में एक विशेष मोड़ या टर्निंग पॉइंट होता है | जैसे अलग – अलग धर्मो में, कम्युनिटी में, समाजो में पूछा जाये कि “आपने इस संसार में क्यों जन्म लिया ?” इस प्रश्न पर सबका जवाब और मत अलग – अलग सुनने को मिलेगा | कोई कहेगा कि, मोक्ष के लिए, स्वर्ग – नरक के लिए, पाप पुन्य भोगने के लिए जैसे कई प्रकार के जवाब मिलेंगे | हमारे गोंडियन धर्म की अगर बात करे तो हम प्रकृति वंशी है, जैसे प्रकृति में समस्त जीव जंतु, पेड़ – पौधे, कीड़ा – मकोड़ा है ठीक वैसे ही हम भी उसी के अंग है | हमारा जीवन का काल चक्र भी पेड़ जैसे, पशु – पक्षी, वनस्पति जैसे चलता है | याने इस संसार या सृष्टि में जो भी आता है सभी अपने जैसे इस संसार में छोड़कर जाते है याने एक पेड़ भी इस संसार में आता है तो अपने बीज से इस संसार में अपने जैसे कई हजारो पेड़ बनाता है | बस यही गोंडीयन धर्म की मान्यता है मडमिंग को लेकर | याने मैं भी इस संसार में आया हूँ मैं भी प्रकृति का अंग हूँ मैं भी मेरे जैसे ही इस संसार में कोई अस्तित्व छोड़कर जाऊ, इसे हम वंशबेल भी कह सकते है | मूल निवासी, आदिवासियों का संक्षिप्त में यही अवधारणा है कि प्रकृति को चलायमान रखने के लिए, प्रकृति कभी ख़त्म न हो, प्रकृति की सेवा होती रहे, ये चक्र चलती रहे बस इसी पुनेम (धर्म) का निर्वहन करना ही मूल निवासियों, आदिवासियों का अंतिम लक्ष्य है कि अपने जैसे ही अस्तित्व पैदा करके इस संसार में, इस प्रकृति में विलीन हो जाऊ और यही प्रकृति का नियम भी है |

जैसा कि हम बात कर रहे थे मडमिंग के बारे में तो जैसा कि प्रारंभ में ही मैंने जिक्र किया था कि मडमिंग एक टर्निंग पॉइंट होता है हर लड़का – लड़की के जीवन में | जब किसी उम्र के एक पड़ाव में लड़का – लड़की जब एक दुसरे को देखते है तो उनमे एक दुसरे के प्रति आकर्षण का भाव उत्पन्न होता है | जिससे लयो- लई, सल्लो – गांगरा एक दुसरे के नजदीक आते है | क्यों आते है कि प्रकृति के सञ्चालन को आगे बढ़ाने के लिए उनमे एक उत्तेजना का संचार हो रहा है और ये सभी जीवो पर लागू होता है | तो उसको सामाजिक, पेन विधान, पुनेमी, गोंडी कस्टम के अनुसार परिपूर्ण कर दोनों को एक करने की प्रक्रिया ही मडमिंग कहलाती है |

ज्ञात हो कि मडमिंग शब्द जो है वो शत प्रतिशत गोंडी भाषा का शब्द है और गोंडीयन धर्म में केवल मडमिंग ही संपन्न होती है। शादी नही होती ये अन्य गैर गोंड समाज से बिलकुल भिन्न है । ये कैसे भिन्न है अगली श्रृंखला में इस पर विस्तृत रूप से प्रत्येक नेग रस्म के बारे में चर्चा करेंगे । बस इतना कहना चाहूंगा कि आज हम मॉडर्न जमाने की नकल – करते करते अपनी अमूल्य विरासत को कही न कही खो रहे है । आज जैसे हम लाखो करोड़ों रुपए खर्च करके स्वरूचि भोज, स्टेज पर कार्यक्रम आयोजित करना, थीम वेडिंग इत्यादि कर रहे है, ये मडमिंग नही कहलाती ये सिर्फ शादी है जो गोंड समाज में शादी जैसा कोई मांगलिक कार्य होता ही नही। जैसे आज के युवा भागकर कोर्ट में मैरिज रजिस्ट्रार के पास जाकर शादी कर लेते है, शासकीय कागजों में तो वो विधिअनुसार पति पत्नी है लेकिन गोंडीयन धर्म में उन्हें पेन ठाने में, धार्मिक पूजा पाठ में, घर के किसी तीज- त्योहार में उनके हाथ से पूजा अर्चना नही करवाई जा सकती । क्योंकि हमारे पुरखे उनकी पूजा और बोन्ना याने अर्पण को स्वीकार ही नहीं करेंगे । जब तक की संपूर्ण विधि विधान से सालय के पेड़ को साक्षी मानकर प्राकृतिक दिशा में सात पेन (शक्ति) को समर्पित करके सात भंवर (फेरे) संपन्न करके, लड़का – लड़की दोनो के पेन (शक्ति) को आराध्य मानकर उन्हें याद करके, वधुमान मूल्य चुका कर, कोड़ा सौपकर, कमका (हल्दी) रस्म, मुंदरी रस्म अदा करके इत्यादि रस्म जब तक पूरा नहीं करेंगे तब तक गोंडवाना समाज में मडमिंग की मान्यता प्राप्त नहीं होगी |

गोविन्द उईके
पता :- 50 बी, माँ गुलाब सिटी कॉलोनी हरदा (मध्यप्रदेश)
मोबाईल नम्बर 8435312943

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 120 Views

You may also like these posts

*लोकतंत्र के सदनों में
*लोकतंत्र के सदनों में
*प्रणय*
4197💐 *पूर्णिका* 💐
4197💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"यादें" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना है।
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना है।
Jyoti Roshni
* सामने आ गये *
* सामने आ गये *
surenderpal vaidya
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
चेहरे पर तेरे मुस्कान गुलाबी सर्द सी है।
चेहरे पर तेरे मुस्कान गुलाबी सर्द सी है।
Rj Anand Prajapati
हमर मयारू गांव
हमर मयारू गांव
Dushyant Kumar Patel
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कहीं पे पहुँचने के लिए,
कहीं पे पहुँचने के लिए,
शेखर सिंह
नेता सोये चैन से,
नेता सोये चैन से,
sushil sarna
बुंदेली दोहे- छरक
बुंदेली दोहे- छरक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हरियाली तीज
हरियाली तीज
VINOD CHAUHAN
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
है कोई तेवरी वाला जो... +शम्भुदयाल सिंह ‘सुधाकर’
है कोई तेवरी वाला जो... +शम्भुदयाल सिंह ‘सुधाकर’
कवि रमेशराज
जिंदगी है तो तकलीफ तो होगी ही
जिंदगी है तो तकलीफ तो होगी ही
Ranjeet kumar patre
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
।। कीर्ति ।।
।। कीर्ति ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सरकार अगर बेटियों के लिए पिस्टल/रिवाल्वर का लाइसेंस आसान व उ
सरकार अगर बेटियों के लिए पिस्टल/रिवाल्वर का लाइसेंस आसान व उ
Anand Kumar
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
कुर्सी
कुर्सी
Rambali Mishra
17रिश्तें
17रिश्तें
Dr .Shweta sood 'Madhu'
बाल दिवस
बाल दिवस
विजय कुमार नामदेव
आकर्षण का नियम
आकर्षण का नियम
महेश चन्द्र त्रिपाठी
Dear whoever will love me,
Dear whoever will love me,
पूर्वार्थ
"सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
छलियों का काम है छलना
छलियों का काम है छलना
©️ दामिनी नारायण सिंह
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
Raju Gajbhiye
अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
अन-मने सूखे झाड़ से दिन.
sushil yadav
Loading...