मटरू लाल जी का फलसफा
मटरू लालजी एक बहुत ही सच्चे, सीधे – साधे सरल ह्रदय के शराबी थे । शराब पीने के अलावा उनके अंदर और कोई ऐब नहीं था । वे किसी की भलाई या बुराई में भी नहीं लिप्त रहते थे । दिन-रात उन्हें सिर्फ अपनी शराब से मतलब था । जब कभी दिख जाते तो बस अपनी शराब की खुमारी मैं डूबी अधमुंदी पलकों को जरा सा ऊपर उठाकर अभिवादन में बस मुस्कुरा देते थे । चलते फिरते उनके हाथ-पांव कांपते रहते थे और एक लड़खड़ाती डगमग करती चाल से दूर से ही पहचान लिए जाते थे । शराब के अलावा ना तो कोई उनका परम मित्र था नाही कोई दुश्मन । नियमित रूप से शराब के सेवन के कारण उनका दफ्तर आना जाना बहुत ही अनियमित था , महीने भर में आधे दिन ही आप दफ्तर पहुंच पाते थे और आधे दिन गैरहाजिर रहने के कारण उन्हें महीने भर की आधी तनख्वाह ही मिल पाती थी जिसे वह पूरा का पूरा शराब पर खर्च कर देते थे । उनकी इस शराब से प्रीति जुड़ी होने के कारण उनकी पत्नी , बच्चे एवं परिवार के अन्य सदस्य उनसे नाता तोड़ अलग रहने लगे थे ।
एक बार उस शहर में जहरीली शराब का कांड हो गया , एक ही रात में करीब 400 लोग जहरीली शराब के कारण मर गए और हजारों अस्पतालों में भर्ती हो गए । शहर के सभी अखबारों की सुर्खियां इस कांड का हवाला देने से पट गईं । माहौल में ऐसा खतरा देखकर उनके दफ्तर में कार्यरत उनके सभी साथियों एवं सहयोगियों ने एक बैठक बुलाकर विचार किया कि उन्हें अपने सहयोगी मटरू लाल जी की जान बचाने के लिये अब उनको शराब पीने के लिए रोकना चाहिए । अतः वे सब इकट्ठा होकर मटरू लालजी के पास पहुंचे और उन्हें विगत जहरीली शराब के कांड का हवाला देते हुए उनको मौत से डराते हुए समझाया की देखिए अब आप शराब पीना बिल्कुल बंद कर दें ।
उन सभी साथियों की सलाह को ध्यानपूर्वक सुनते समझते हुए मटरू लाल जी ने कुछ ऐसा कहा कि उस पूरी भीड़ एवम साथ आये लोगों के सभी तर्क फीके पड़ गए । मटरू लाल जी ने उनमें से एक सज्जन जो उन्हें ज्यादा परोपकारी बन आत्मीयता से उनको समझाने में जुटे थे उन्हें संबोधित करते हुए कहा
‘ देखिए शुक्ला जी यह वह समय चल रहा है कि जिसने अपनी जिंदगी में कभी शराब ना पी हो वह आज जमकर पी ले , क्योंकि जितनी जहरीली शराब शहर में थी रातों-रात नालियों में बहा दी गई है , अब तो लगातार जगह जगह छापे पर छापे पढ़ रहे हैं और सभी दुकानों पर शुद्ध पेवर माल बिक रहा है ।