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16 Feb 2024 · 1 min read

मज़िल का मिलना तय है

काबू में हम बस उसे ही
रखने की करते हैं कोशिश
खाते में जिंदगी के

हर तरंग तय है
साँस और पलक भी
काबू से हैं परे ये
मियाद जब तलक है

चलना भी इनका तय है
जो अपने काबू में नहीं है
और राह भी हो निर्णीत
बस यकीन से इस सफर में

जो बहते रहे यूँ ही
मज़िल का मिलना तय है

अतुल “कृष्ण”

Language: Hindi
77 Views
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