मज़हब या इंसानियत?
जहां दिलों में प्यार भरा हो
वहीं खिलती है ज़िंदगी!
अगर दीप से दीप मिलें तो
कुछ और बढ़ती है रोशनी!!
ऐ मज़हब को मुल्क की
बुनियाद बनाने वाले बता!
आदमी के लिए मज़हब है कि
मज़हब के लिए आदमी?
जहां दिलों में प्यार भरा हो
वहीं खिलती है ज़िंदगी!
अगर दीप से दीप मिलें तो
कुछ और बढ़ती है रोशनी!!
ऐ मज़हब को मुल्क की
बुनियाद बनाने वाले बता!
आदमी के लिए मज़हब है कि
मज़हब के लिए आदमी?