Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2024 · 1 min read

मज़हब की आइसक्रीम

लोग खिलाना चाहें मुझको, मज़हब की आइसक्रीम
मेरा गला खराब है, चाहूँ मैं हकीम

जाली टोपी सर पे सजाके
चेहरे पे दाढ़ी को बढ़ाके
नफ़रत की तकरीरें सुनाके
लोगों को आपस में लड़ाके

भैंस सरीखे जन पगुराते, धर्म की बजती बीन
मेरा गला खराब है, चाहूँ मैं हकीम

तिलक–त्रिपुंड हैं जो ये लगाए
मन की वासना छोड़ न पाए
धन–लोलुपता इनके साए
सुरा–सुंदरी इनको भाए

देते हैं ये दीन का प्रवचन, पथ है इनका हीन
मेरा गला खराब है, चाहूँ मैं हकीम

राजनीति इनको है भाती
सत्ता इनको सदा सुहाती
राइफल और बंदूक रमाकर
हाथों में माला को नचाकर

गण–गण को है ये बतलाते, बातें बड़ी महीन
मेरा गला खराब है, चाहूँ मैं हकीम

––कुँवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह✍🏻
★स्वरचित रचना
★©️®️सर्वाधिकार सुरक्षित

2 Likes · 77 Views

You may also like these posts

#मुक्तक
#मुक्तक
*प्रणय*
सुनती हूँ
सुनती हूँ
Shweta Soni
* पत्ते झड़ते जा रहे *
* पत्ते झड़ते जा रहे *
surenderpal vaidya
कब तक बरसेंगी लाठियां
कब तक बरसेंगी लाठियां
Shekhar Chandra Mitra
दौड़ी जाती जिंदगी,
दौड़ी जाती जिंदगी,
sushil sarna
24/236. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/236. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दुनियां कहे , कहे कहने दो !
दुनियां कहे , कहे कहने दो !
Ramswaroop Dinkar
जीवन दया का
जीवन दया का
Dr fauzia Naseem shad
धनतेरस का महत्व
धनतेरस का महत्व
मधुसूदन गौतम
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
Dr.sima
सच्चा प्रेम
सच्चा प्रेम
Sagar Yadav Zakhmi
जब वक्त ख़राब हो
जब वक्त ख़राब हो
Sonam Puneet Dubey
Where is God
Where is God
VINOD CHAUHAN
पत्थर की अभिलाषा
पत्थर की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
अंगुलिया
अंगुलिया
Sandeep Pande
उत्तराधिकार
उत्तराधिकार
Shashi Mahajan
होली आने वाली है
होली आने वाली है
नेताम आर सी
**हो गया हूँ दर बदर चाल बदली देख कर**
**हो गया हूँ दर बदर चाल बदली देख कर**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Ritu Asooja
साथ छोड़ दिया....
साथ छोड़ दिया....
Jyoti Roshni
तेरे झूठ का जहर, तो जहर बांट रहा है।
तेरे झूठ का जहर, तो जहर बांट रहा है।
Sanjay ' शून्य'
सत्य को पहचान
सत्य को पहचान
Seema gupta,Alwar
सूरजमुखी
सूरजमुखी
अंकित आजाद गुप्ता
ये वक़्त कभी असुरक्षित करता है तो कभी सुरक्षित,
ये वक़्त कभी असुरक्षित करता है तो कभी सुरक्षित,
Ajit Kumar "Karn"
"दस्तूर-ए-हयात"
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
समय
समय
Paras Nath Jha
"उस खत को"
Dr. Kishan tandon kranti
ना दुनिया जीये दी
ना दुनिया जीये दी
आकाश महेशपुरी
झूठी हमदर्दियां
झूठी हमदर्दियां
Surinder blackpen
“ख़्वाब देखे मैंने कई  सारे है
“ख़्वाब देखे मैंने कई सारे है
Neeraj kumar Soni
Loading...