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7 Oct 2021 · 1 min read

मज़हबी दंगों में रंजिशें

मज़हबी दंगों में रंजिशें भी खूब सरेआम हुआ?
आदमी ही आदमी के क़त्लेआम मे है लगा हुआ?

बुद्धजिल ज़ाहिल बन गए सब इन मज़हबी दुकानदारों के?
दरख़्वास्त करे ‘किशन’ की यूँ न कर? मगर सब खून का प्यासा बन गया?

शायर ©किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 211 Views
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