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31 Jul 2021 · 1 min read

मजदूर

मजदूर पूछ रहा है,

क्या मैं वही हूं…
जो कभी छोटी इमारतों के बड़े होने तक साथ रहा,
क्या मैं वही हूं…
जो कभी अपने मालिकों के कारोबारी सर दर्द को अपना बना लेता था,
क्या मैं वही हूं…
जो कभी अपनी सुकून भरी रातों को मालिकों के नाम करता था,
क्या मैं वही हूं…
जो कभी अपनी नींद पूरी ना कर मालिकों को चैन की नींद सुलाता था,
क्या मैं वही हूं…
जो कभी अपने बच्चों को स्कूल ना छोड़ अपने मालिक को के बच्चों को एयरपोर्ट छोड़ता था,
क्या मैं वही हूं…
जो कभी अपने मालिक की मुसीबत में उसके साथ सदा खड़ा था,
इसमें मेरा क्या दोष है,

इस बीमारी को भी तो तुम ही लाए हो विदेशों से,
जिसका हवाला देकर तुमने मुझे दरबदर कर दिया

इसमें मेरा क्या दोष है ,
बंदिशों में आप खुद ना रहे, आज बंदिशों में हमें कर दिया…..

तुझे क्या,
सुबह चला मैं शाम चला,
चला मैं दिन-रात चला,
अपनों की मंजिल थी दूर
मगर, मंजिल पाने का हौसला बरकरार रहा…….

दुआ यही करते हैं , फिर मुलाकात ना हो कभी
तुम भी खुश रहो सदा , मैं भी खुश रहूं सदा

उमेंद्र कुमार

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 268 Views
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