मजदूर दिवस मनाने में!
मजदूर दिवस मनाने में हमें शर्म आनी चाहिए।
मनुष्य का शोषण कर हमें रस गुल्ला खानी चाहिए।
क्या? कमाकर देने वाले का यह हास्य होनी चाहिए।
दो बूंद चुल्लू भर पानी में,मर जानी चाहिए।
जिंदगी भर कमा कर खिलाने वाला खुद भूखा रह जाता है।
लेकिन ! इन्हें जरा भी दया नहीं आती है वह तरस खा कर सो जाता है।कब! तलक करोगे शोषण मजदूर का ।
वह अपनी जिंदगी को तुम्हारे पास रख देता है गिरवी!
फिर भी किसी से न गिला शिकवा करता है क्योंकि जिन्दगी रखी।
गिरवी है।
सारे के सारे मनुष्य तमाशा बीन बने कहते सुनते रहते हैं।
नहीं कोई उसका दर्द समझता है , फिर उसे मजदूर कहते हैं।