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19 Jan 2022 · 1 min read

मगर छुप के

मैं सिगरेट पीता हूँ, मगर छुप के।
मैं जिंदगी जीता हूँ, मगर छुप के।।

गिलास हाथ मे लेकर, झूमता हूँ।
मैं शराब पीता हूँ, मगर छुप के।।

कभी ना मिलू घर, तो मयखाने चले जाना।
अक्सर रातें गुजरता हूँ वहाँ, मगर छुपके।।

मेरा घर तो दीवाल है, सीमेंट-ईंटो का।
वहाँ पत्थर ही खाता हूँ, मगर छुप के।।

जहाँ मकान है मेरा, वहाँ फर्स ही नही।
मैं तो किसी के दिल में रहता हूँ, मगर छुप के।।

प्यार करता हूँ उसे, दिल के धड़कने से ज्यादा।
लड़कियां भी निहारता लेता हूँ, मगर छुप के।।

कह दिया है उससे, शक है तो चले आना।
मिलूंगा वहीं जहाँ तुझे पसन्द नही, मगर छुप के।।

रोशनी में देखती है छाया वो, समझकर अपनी।
उसकी परछाई बन गया हूँ मैं, मगर छुप के।।

देखकर आईना होता है गुमान उसको, हुश्न पर अपने ।
मेरी आँखें ही उसका आईना बन गयी है, मगर छुप के।।

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 2 Comments · 283 Views
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