मखमली ख्वाब
रूई के फोहे से हैं मेरे मखमली ख्वाब
रेशम के धागों से कसीदे हैं कुछ ख्वाब
ख्वाहिश, अरमान, ख्वाब, फरमाइश हैं
रेशम की डोरी से धागे बुनकर बुनती हूँ
सीरत
कसीदे- कढ़ाई, बुनाई
रूई- कपास
फोहे- कपास के पौधे के अन्दर से निकालते हैं, बड़ी नरम, soft होती है, एकदम दूध जैसी
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा