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25 Jun 2020 · 1 min read

मक्का हो जाये वृंंदावन

चलो तोड़ दे वे दीवारे बॉट रही जो घर ऑगन
काशी बने मदीना औ मक्का हो जायें वृंदावन
जाति पाति मज़हब का बंधन मानवता को गाली है
सारी दुनियॉ एक चमन है ऊपर वाला माली है
रक्त बहाना इक दूजे का होता केवल पागलपन
काशी बने……..
बात बात पर लड़ना मानो श्वानो की पहचान बनें
मानव बन कर जन्में है तो छोड़ बैर इंसान बनें
प्रेम भाव इस जग मे फैले हो जाये सुरभित उपवन
काशी बने ………
बावर ने मंदिर तोड़ा हिंदू ने मस्जिद तोड़ी थी
लेकिन पता नहीं दोनो को किसने ईटें जोड़ी थी
आपस मे लड़ कर क्यों रँगते खूं से भारत का दामन
काशी बने….
भूसा भरा हुआ माथे में जो आपस मे लड़ते हो
किन तथ्यों की बात मान कर जुदा खुदा को कहते हो
जुदा खुदा होता तो सुन लो अलग अलग होता सावन
काशी बने….
मानव बन कर जन्में हो तो मानव बन कर ही मरना
जाति पाति औ धर्म सरीखे हथकण्डो पर मत लड़ना
मन से हो केवल अलग अलग पाया है इक जैसा तन
काशी बने …..
शरद कश्यप

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 286 Views
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