मकर संक्रांति पर्व
मकर संक्रांति पर्व
सिहरन को अनुभव करें, राजा रंक फकीर।
शीत लहर जो चल रही, नारी शक्ति अधीर।
नारी शक्ति अधीर, अलाव जलाकर
तापो।
ऊनी कपड़े पहन, रजाई से तन झापों ।
कहें प्रेम कविराय, शीत ऋतु जैसी ठिठुरन।
मकर संक्रांति पर्व, कराता अनुभव सिहरन।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,प्रेम