मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी त मरदे में खोजे खराबी
एतने ह कमी कि हउवे शराबी
खेलेला जुआ भा तास सुरिया के
गहना ले बेचि देला मीट भात खा के
कहेला चिंता का करेलू रानी
समस्या के जर हम बटले नू बानी
बीघा भर बापे से मिलल बा खेती
हम नाहीं बेचेब त बोलऽ के बेची
जरे के बटले बा चिता पर जा के
का होई रात-दिन रुपिया कमा के
मरदा के सुन उपदेश, अगुता के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
कुछउ ना मिले त कूँची से मारे
मरदो ना कम हवे झोंटा उँखारे
जीते ना मउगी त हबके ले दाँते
भागेला मरदा तब दुअरा चिल्लाते
खिसिन में लागेला खटिया उलाटे
बीतल पुरान बाति सगरी उपाटे
कटले ह दाँते आ दिहले ह गारी
इहे सिखऽवले बा बाप महतारी
करम जरल जहिये जिनिगी में अइले
भइनी बिलार हम बाघिन ते भइले
रात दिन हमसे गुलामी करऽवले
कहियो ना हीक भर दारू पिअवले
पहिले के रात रँग आपन देखऽवले
पलँग से धाका तें दे के गिरऽवले
मरदा के बात जब नाहीं रोकाला
मउगी से चार बाँस अउरी ठोकाला
मुश्किल बा येकनी के झगड़ा छोड़ावल
जइसे कि बियल में हाँथी घुसावल
बिहाने से दूनू ई लागे सन लड़े
खइले बिना लइका चल देला पढ़े
जे रहित रहन तब मरदा पुजाइत
लइका इस्कूले उपासे ना जाइत
दारू आ जुआ से दूरी बनाइत
मउगी से इज्जत उ काहें ना पाइत
हम येही से घरवा में इज्जत से बानीं
कि दारू आ जुआ के लगे ना जानीं
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 02/04/2023