मंदिर का निर्माण फिर फिर । हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
हैं जो अंकुरित बीज मिट्टी में कभी दबते नही।
वीर होनहार चिकने पात कभी छिपते नही।
किया खंडित मुस्लिम आक्रांताओं ने।
जमींदोज किया भारतीय संस्कृति सभ्यता उपासना स्थल को।
तोड़ मंदिरों को बनाएं मस्जिद।
हटा न सके आम्र पत्र कमल और कलश जो था प्रस्तरों पर उत्कीर्ण।
मंदिर का निर्माण फिर फिर ।
हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
सूरज छिपता नही आसमान में।
भ्रम है ये लोगो का जो पृथ्वी हट जाती पीछे।
तो प्रकाश वहां जमीं पर उतरता नही।
सामने को पड़ती धरा बिखेर देता अपनी रश्मि को।
है सत्य शाश्वत सनातन धर्म।
अरबों वर्ष से इस धरा पर अवतीर्ण।
मंदिर का निर्माण फिर फिर।
हो मंदिर का निर्माण फिर फिर।
ज्ञानवापी, संभल हरिहर मंदिर,।
कुतुबमीनार,ताजमहल, अजमेर दरगाह।
टिके है सारे मंदिरों के नींव पर।
तरस न आई बनाने वाले जीव पर।
होकर एक करना पड़ेगा हर हिंदुओ को।
अपने उपासना स्थलों के छिपे रहस्य को पूर्ण।
मंदिर का निर्माण फिर फिर।
हो मंदिर का निर्माण फिर फिर।
हो बाबर औरंगजेब या हुमायूं अकबर शाहजहां।
मीनारों को ढहा कर जिसने किया गुंबदों का निर्माण।
लड़े गुरु तेगबहादुर जैसे हिन्दू जांबाज।
इस्लाम को कबूल न किया।
भले हलक से चली गई जान।
दबे हुए मलबों से रही अगली जंग फिर छिड़।
मंदिर का निर्माण फिर फिर।
हो मंदिर का निर्माण फिर फिर।
अनपढ़ है वो जीते जी जो अपने धर्मग्रंथ को पढ़ा नही।
जो अपने जाति, देश, समाज भूमि के लिए लड़ा नहीं।
चैतन्य नही वो जड़ है।
जो देशहित में खड़ा नही।
मजार ही या दरगाह हो।
सबका यहां सम्मान हों।
पर किसी के पुराने उपासना स्थलों से नही छेड़छाड़ हो।
अगर हुआ ऐसा तो वो जायेंगी।
क्षण भर में गिर।
मंदिर का निर्माण फिर फिर।
हो मंदिर का निर्माण फिर फिर।
RJ Anand Prajapati