*मंत्री जी (हास्य व्यंग्य)*
मंत्री जी (हास्य व्यंग्य)
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वे धन्य हैं जो मंत्री बन गए । उनको बारंबार धन्यवाद जिन्होंने पाँच वर्षों तक मंत्री का पद धारण किया । उनकी धन्यता का तो कहना ही क्या जो दस साल या पंद्रह साल मंत्री बने रहे ।
सबसे ज्यादा दुखी वह व्यक्ति है जो मंत्री बनने के बाद भूतपूर्व मंत्री बना है । उसके दुख की कोई सीमा नहीं है । घर पर बैठा हुआ मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह देखता है और सीने पर सांप लोटना शुरू हो जाते हैं । बस यह कहिए कि पूरे शरीर में किसी ने भाले भोंक दिए हों। मंत्री बनने के बाद ही भूतपूर्व मंत्री होने के दुख को कोई समझ सकता है । जो आदमी जिंदगी में कभी मंत्री बना ही नहीं ,वह कभी भी भूतपूर्व मंत्री के दर्द को नहीं समझ सकता।
मंत्री बनने के बाद मंत्री पद छिनता है तो जीवन निस्सार जान पड़ता है । लगता है अब जिंदगी का कोई मतलब नहीं रहा। आदमी एक तरह से समझ लो ,देवदास बन जाता है । किसी असफल प्रेमी की तरह एक नीरस जीवन बिताता है । अपनी प्रेमिका रूपी मंत्री की कुर्सी को बराबर याद करता रहता है । आंसू बहाता है और दर्द भरे गीतों से वातावरण को रुआँसा बना जाता है। उसके इष्ट मित्र सगे संबंधी परिजन उसके भीतर की वेदना को समझते हैं । वह जानते हैं कि यह आदमी भूतपूर्व मंत्री होने के कारण दुखी है ।
ज्ञानी जन उसे समझाते हैं : “बंधु ! मंत्री पद नश्वर और क्षणभंगुर होता है । व्यक्ति को घड़ी दो घड़ी के लिए प्राप्त होता है और फिर पानी के बुलबुले की तरह समाप्त हो जाता है। इससे मोह मत करो । यह बड़ा निष्ठुर होता है । जब जाता है ,तब किसी की वेदना को नहीं देखता । उसे जाना था ,वह चला गया । अब उसका शोक कैसा ? “-इस प्रकार संसार में ज्ञानीजन भूतपूर्व मंत्री के शोक को दूर करने का भरसक प्रयत्न अपने उपदेशों द्वारा करते हैं । पर ज्ञान की बातों से भला किसी का मोह आज तक मिटा है ?
मंत्री पद इस संसार में देवलोक के समान माना जाता है । जिसे मिल जाता है, वह देवताओं की भांति पूजा जाता है । लोग उसे देखने के लिए आते हैं और देख कर कहते हैं कि अरे ! यह तो आदमी नजर आ रहा है। हम तो समझते थे कि यह मंत्री बन गया है । ऐसे में सर्वसाधारण को विद्वानजन समझाते हैं कि मंत्री भी एक प्रकार से मनुष्य ही होता है । बस उसे दिव्य-गति प्राप्त हो जाती है । परिणामतः वह अंगरक्षकों से घिरा हुआ मस्ती में झूमता हुआ स्वयं को जमीन से तीन इंच ऊपर उठकर चलने वाला अद्भुत प्राणी समझता है । वास्तव में मंत्री और कुछ नहीं है ,केवल एक थोड़े समय के लिए मनुष्यों के बीच में से उच्च स्थिति को प्राप्त मनुष्य ही है ।
मंत्री कभी भी इस बात की कल्पना नहीं करता कि उसे भूतपूर्व मंत्री बनना पड़ेगा । अगर वह सोच ले कि आज मंत्री है, कल नहीं रहेगा तब वह मंत्री कैसा ? वह उसी क्षण एक साधारण व्यक्ति बन जाएगा । उस पर मंत्री पद रहने अथवा छिन जाने का कोई प्रभाव नहीं होगा । ऐसे लोग मानव नहीं अपितु महामानव कहलाते हैं।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
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