Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jul 2022 · 3 min read

*मंत्री जी (हास्य व्यंग्य)*

मंत्री जी (हास्य व्यंग्य)
~~~~~~~~“~~~~~~~~~~~~
वे धन्य हैं जो मंत्री बन गए । उनको बारंबार धन्यवाद जिन्होंने पाँच वर्षों तक मंत्री का पद धारण किया । उनकी धन्यता का तो कहना ही क्या जो दस साल या पंद्रह साल मंत्री बने रहे ।
सबसे ज्यादा दुखी वह व्यक्ति है जो मंत्री बनने के बाद भूतपूर्व मंत्री बना है । उसके दुख की कोई सीमा नहीं है । घर पर बैठा हुआ मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह देखता है और सीने पर सांप लोटना शुरू हो जाते हैं । बस यह कहिए कि पूरे शरीर में किसी ने भाले भोंक दिए हों। मंत्री बनने के बाद ही भूतपूर्व मंत्री होने के दुख को कोई समझ सकता है । जो आदमी जिंदगी में कभी मंत्री बना ही नहीं ,वह कभी भी भूतपूर्व मंत्री के दर्द को नहीं समझ सकता।
मंत्री बनने के बाद मंत्री पद छिनता है तो जीवन निस्सार जान पड़ता है । लगता है अब जिंदगी का कोई मतलब नहीं रहा। आदमी एक तरह से समझ लो ,देवदास बन जाता है । किसी असफल प्रेमी की तरह एक नीरस जीवन बिताता है । अपनी प्रेमिका रूपी मंत्री की कुर्सी को बराबर याद करता रहता है । आंसू बहाता है और दर्द भरे गीतों से वातावरण को रुआँसा बना जाता है। उसके इष्ट मित्र सगे संबंधी परिजन उसके भीतर की वेदना को समझते हैं । वह जानते हैं कि यह आदमी भूतपूर्व मंत्री होने के कारण दुखी है ।
ज्ञानी जन उसे समझाते हैं : “बंधु ! मंत्री पद नश्वर और क्षणभंगुर होता है । व्यक्ति को घड़ी दो घड़ी के लिए प्राप्त होता है और फिर पानी के बुलबुले की तरह समाप्त हो जाता है। इससे मोह मत करो । यह बड़ा निष्ठुर होता है । जब जाता है ,तब किसी की वेदना को नहीं देखता । उसे जाना था ,वह चला गया । अब उसका शोक कैसा ? “-इस प्रकार संसार में ज्ञानीजन भूतपूर्व मंत्री के शोक को दूर करने का भरसक प्रयत्न अपने उपदेशों द्वारा करते हैं । पर ज्ञान की बातों से भला किसी का मोह आज तक मिटा है ?
मंत्री पद इस संसार में देवलोक के समान माना जाता है । जिसे मिल जाता है, वह देवताओं की भांति पूजा जाता है । लोग उसे देखने के लिए आते हैं और देख कर कहते हैं कि अरे ! यह तो आदमी नजर आ रहा है। हम तो समझते थे कि यह मंत्री बन गया है । ऐसे में सर्वसाधारण को विद्वानजन समझाते हैं कि मंत्री भी एक प्रकार से मनुष्य ही होता है । बस उसे दिव्य-गति प्राप्त हो जाती है । परिणामतः वह अंगरक्षकों से घिरा हुआ मस्ती में झूमता हुआ स्वयं को जमीन से तीन इंच ऊपर उठकर चलने वाला अद्भुत प्राणी समझता है । वास्तव में मंत्री और कुछ नहीं है ,केवल एक थोड़े समय के लिए मनुष्यों के बीच में से उच्च स्थिति को प्राप्त मनुष्य ही है ।
मंत्री कभी भी इस बात की कल्पना नहीं करता कि उसे भूतपूर्व मंत्री बनना पड़ेगा । अगर वह सोच ले कि आज मंत्री है, कल नहीं रहेगा तब वह मंत्री कैसा ? वह उसी क्षण एक साधारण व्यक्ति बन जाएगा । उस पर मंत्री पद रहने अथवा छिन जाने का कोई प्रभाव नहीं होगा । ऐसे लोग मानव नहीं अपितु महामानव कहलाते हैं।
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 367 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

श्याम बदरा
श्याम बदरा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
पहचान
पहचान
surenderpal vaidya
The enchanting whistle of the train.
The enchanting whistle of the train.
Manisha Manjari
तुम बिन
तुम बिन
Dinesh Kumar Gangwar
मंजिल
मंजिल
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
"मेरे देश की मिट्टी "
Pushpraj Anant
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
..
..
*प्रणय*
प्रार्थना- हमें दो ज्ञान प्रभु इतना...
प्रार्थना- हमें दो ज्ञान प्रभु इतना...
आर.एस. 'प्रीतम'
22. खत
22. खत
Rajeev Dutta
सेर
सेर
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
3222.*पूर्णिका*
3222.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कविता
कविता
Rambali Mishra
संवेदना बदल गई
संवेदना बदल गई
Rajesh Kumar Kaurav
हम है बच्चे भोले-भाले
हम है बच्चे भोले-भाले
राकेश चौरसिया
अनुभव
अनुभव
Sanjay ' शून्य'
हो जाती है रात
हो जाती है रात
sushil sarna
"गुलजार"
Dr. Kishan tandon kranti
चिन्ता करू या चिन्तन क्योंकि
चिन्ता करू या चिन्तन क्योंकि
ललकार भारद्वाज
हायकू
हायकू
Santosh Soni
कोरोना और पानी
कोरोना और पानी
Suryakant Dwivedi
धूप छांव
धूप छांव
Sudhir srivastava
ज़िंदगी अतीत के पन्नों में गुजरती कहानी है,
ज़िंदगी अतीत के पन्नों में गुजरती कहानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शुभमाल छंद
शुभमाल छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हरेली तिहार
हरेली तिहार
पं अंजू पांडेय अश्रु
नारी का सम्मान 🙏
नारी का सम्मान 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मिथिला बनाम तिरहुत।
मिथिला बनाम तिरहुत।
Acharya Rama Nand Mandal
Loading...