*”मंडप “*
“मंडप”
हरे बांस मंडप सुशोभित ,घर द्वार फूलों से महकाये।
शुभ प्रणय परिणय सूत्र बंधे ,वर वधु मुदित मन हरषाये।
रीति रिवाजों संस्कारो से ,विधि विधान पूजन मंगल गीत गाये।
साँझ ढले गोधूलि बेला में ,दूल्हा संग बाराती नचाते गाते आये।
नील गगन चाँद सितारों संग,साक्षी भाव से रस्मों को निभाये।
सात फेरों सात वचन ,वैदिक मंत्र उच्चारण विवाह कराये।
रस्मों रिवाजों के बाद विदाई की घड़ी ,कैसी अनोखी रीत निभाये।
वर वधु की युगल जोड़ी देख ,शुचित मन हर्षित हो जाये।
शशिकला व्यास