मंज़िल अभी थोड़ी दूरहै
मंज़िल अभी थोड़ी दूर है
भर उड़ान पंखों में तू नीचे मत आना
रख हौसला जिगर में तू हार मत जाना
तान के सीना आगे बढ़ तू कल का सुरूर है
रुकना नहीं बंदे मंज़िल अभी थोड़ी दूर है
एक नयी सुबह नया पैग़ाम लेकर आती है
कुछ नया करने कि प्रेरणा देकर जाती है
इस नव भारत का तू एक ग़ुरूर है
रुकना नहीं बंदे मंज़िल अभी थोड़ी दूर है
हार गया आज तो कल फिर नहीं आएगा
आज का नव सूरज पल में धूमिल हो जायेगा
चमक दिखा दे अपनी तू काँच नहीं कोहिनूर है
रुकना नहीं बंदे मंज़िल अभी थोड़ी दूर है