मंज़िल अब दूर नही
घनघोर इस अंधेरे में, वो उजाला कितना सफल होगा,
किस्मत पीछे हट जायेगी, तेरे साथ खड़ा तेरा कर्म होगा,
ना दुनिया को परवाह होगी, ना दुनिया तुझे उठायेगी,
तेरी हिम्मत, तेरा रुतबा हि, तुझे शिखर तक ले जायेगी,
क्यूँ? डरना अकेले चलने से, हर कोशिश यही सिखायेगी,
आने दे रुकावट रस्ते में, ये मुसीबते मंज़िल तुझे दिखाएगी,
सम्भल जाना हर बार वहाँ, दुनिया की बातें जब-जब तुझे भुजायेगी…
तू बार-बार जब रुक जायेगा, तेरी हिम्मत तुझे उठायेगी,
तू हो जायेगा जब इतना ऊँचा, तो नज़र औरो की झुक जायेगी…
सब्र थोड़ा सा करना होगा, फिर मंज़िल, तुझे खड़ा सामने पायेगी, फिर मंज़िल तुझे खड़ा सामने पायेगी!
_✍️𝘿𝙧.𝙨𝙤𝙣𝙖𝙢 𝙥𝙪𝙣𝙙𝙞𝙧..