मंगल छंद , धार छंद , पंक्ति छन्द
मंगल छंद , धार छंद , पंक्ति छन्द
#मंगल छंद
प्रत्येक चरण में 11,11=22 मात्रा अंत में गुरु एवं .
प्रत्येक चरण की 11 की यति में एवं यति के बाद त्रिकल अनिवार्य
मंगल छंद में गीतिका , शीर्षक —आजकल बहार है
आया अभी चुनाव, झुकी सरकार है |
वोटर कहते देख , आजकल बहार है ||
बरस रहें है नोट , गुलाबी पीले भी ,
फैल रहा संदेश , आजकल बहार है |
दारू भी बँट रही , महक रही गाँव में ,
राही कहता यहाँ , आजकल बहार है |
नेता झुककर चलें , बनाते हैं नाता ,
जनता ऐठें मूँछ ,आजकल बहार है |
======सुभाष सिंघई=====
#धार छंद २२२१
देखो यार | नेता भार || फैला रार | लूटे सार ||
नेता छूट | जाने लूट || बेचें देश | डाकू वेश ||
जाने लोग | माने रोग || कैसा योग | खाते भोग ||
लूटा देश | ठाने क्लेश || कैसा छंद | होता द्वंद ||
======सुभाष सिंघई ============
#पंक्ति छन्द
(भगण (२११) +गुरु+गुरु,
५ वर्ण, ४ चरण, २-२ चरण समतुकांत
आग लगाते | देश जलाते || भेष बनाते | गान सुनाते ||
भारत नेता | देकर लेता || शर्म न आती | मात लजाती ||
भाषण देता | भारत नेता || राशन लाता | शासन पाता ||
मूरख जाने | लोग सयाने || वोटर खोते | देकर रोते ||
========सुभाष सिंघई ==========
© सुभाष सिंघई
एम•ए• हिंदी साहित्य , दर्शन शास्त्र
जतारा (टीकमगढ़) म०प्र०
आलेख- सरल सहज भाव शब्दों से छंदों को समझानें का प्रयास किया है , वर्तनी व कहीं मात्रा दोष हो तो परिमार्जन करके ग्राह करें
सादर
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