मंगला गौरी
मंगला गौरी
सर्व मंगला प्रिया सदा उमा महेश्वरम।
पूज्यपाद वंदनीय गौरि देवि सुन्दरम।
दोष-विघ्नहारिणी कृपालु दिव्य गौरि माँ।
नारियां सुहागिनी सदैव पूज ज्योतिमा।
पार्वती महेश वन्द्य स्तुत्य सर्व कालिका।
याचना करो मिले सदैव भव्य मालिका।
हाथ जोड़ पैर गिर करो सदैव वंदना।
माँ उमा महान गौरि कल्प वृक्ष नंदना।
ध्यानमग्न चित्तवृत्ति संतुलित रहे सदा।
खुश रखो महेश- शम्भु -शिव उदार सर्वदा।
प्रेम से पुकारना सुनें सहर्ष नाथ जी।
श्रावणी सुमंगला शुभांक विश्वनाथ जी।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।