मंगरुआ
सरकार से गुहार लगावे मंगरुआ की बहुते मुश्किल से जीयत बा।।
कपड़ा लत्ता सब झिंगुर खा ग सुई लेके सीयत बा।
तेल नमक मसाला आटा कुछ भी नाही बा घरे में।
सत्तो बात कहत बानी अब का रखल बा डरे में।
ठेका देखा खुल गइल त सारा गरीबी दूर भइल,
उहे मंगरुआ ठेका पे जाके अंग्रेजी दारू पियत बा।।
सरकार से गुहार लगावे मंगरुआ की बहुते मुश्किल से जीयत बा।।।
-सिद्धार्थ पांडेय