मँहगाई
श्रृंगार छंद
16मात्रा/आरंभ में त्रिकल, द्विकल फिर त्रिकल अनिवार्य
नित्य मँहगाई करे कमाल।
आम जनता की उधड़े खाल।
तीन सौ के लहसुन है पार।
प्याज कहता मुझको मत तार।
मटर ,गोभी,चौलाई साग।
लगी है हर सब्जी में आग।
और भी हुआ टमाटर लाल।
नित्य मँहगाई करे कमाल।
बजट के सारे नुस्खे फेल।
तभी पकते सब्जी बिन तेल।
दाल-चावल का सुनकर दाम।
टपकते हैं माथे से घाम।
पेट भर मिले न रोटी दाल।
नित्य मँहगाई करे कमाल।
दूध,का तो मत पूछो हाल।
बाल बच्चे रहते बेहाल।
नमक सत्तू से भी है दूर।
भूख से हिम्मत चकनाचूर।
छौंक में केवल जीरा डाल।
नित्य मँहगाई करे कमाल।
जेब खाली खर्च बेशुमार।
शूल छाती पर चुभे हजार।
खर्च पर हो कैसे कंट्रोल।
दाम बढ़ते डीजल, पेट्रोल।
बढ़ा है अवसादों का जाल।
नित्य मँहगाई करे कमाल।
दूध दारू नेता घर पूर।
बना सबसे राजनीति क्रूर।
नहीं मनता कोई त्योहार।
लूटता जनता को सरकार।
तेज गति से चलता है चाल।
नित्य मँहगाई करे कमाल।
करें क्या मँहगाई की बात।
दाम सबका बढ़ता दिन रात।
बढ़ा बीमारी बना प्रकोप।
दवा के बिना लो छुरा घोंप।
रहे हैं होते दीन हलाल।
नित्य मँहगाई करे कमाल।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली