भ्रुण हत्या
#विषय:- समाजिक बुराई ( भ्रूण हत्या, दहेज )
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जग में बेटियन से कइसन बा हिनाई बीरना
भ्रूण हत्या कइके बनी जीन कसाई बीरना।
बेटी-बेटा जगवा में एक ही सामान बा।
बेटवन से नाहीं तनिको बेटियन के नाम बा।
अइसन करऽ जीन बेटी के बिदाई बीरना।
भ्रूण हत्या कइके बनी जीन कसाई बीरना।।
रचना ई सृष्टि के बेटिये से होला।
घर अउरी अंगना के बेटिये से शोभा।
शोभा आंगना के अइसे ना मिटाई बीरना।
भ्रूण हत्या कइके बनी जीन कसाई बीरना।।
दुर्गा, सिया, काली सबऽ बेटियन के नाम बा।
जगवा में इनही से शक्ति के प्रमाण बा।
शक्ति गइनी कइसे इनकर भुलाई बीरना।
भ्रूण हत्या कइके बनी जीन कसाई बीरना।।
सीमवा पऽ आज बेटी पहरेदार बाटी।
माई- बापू के तऽ बेटी बनतारी लाठी।
धाती माई अचरा के ना मिटाई बीरना।
भ्रूण हत्या कइके बनी जीन कसाई बीरना।।
आज परेशान बाबुल , कारन दहेज बा।
येही चलते बेटियन से सबका परहेज बा।
चली लड़ी जा दहेज से लड़ाई बीरना।
भ्रूण हत्या कइके बनी जीन कसाई बीरना।।
कहें सचिन, भइया मानो मोरी बात हो।
बेटियन के समझ नाही आपन दुर्भाग्य हो।
कइसे बातिया ई तोहे समझाईं बीरना।
भ्रूण हत्या कइके बनी जीन कसाई बीरना।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर), पश्चिमी चम्पारण
बिहार
#घोषणा:- ई रचना स्वरचित वह स्वप्रमाणित बा
9560335952
बेटी बचाओं सौभाग्य बनाओं।