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26 Feb 2018 · 1 min read

भ्रष्टाचार

किये जतन लाखों सतत, खोज-खोज पर्याय !
हुआ न भ्रष्टाचार का,… खत्म कभी अध्याय !!

जमा हुआ है खून में, …..ऐसे भ्रष्टाचार !
ज्यों बरनी में तेल की,डूबा हुआ अचार !!

कर लेना ही ठीक है, बात हमे स्वीकार !
आगे भ्रष्टाचार के….. हम जाते हैं हार !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 342 Views
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