भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
भोले भक्त को भूल न जाना
मैं बालक हूँ तेरा, मेरे घर में खुशियाँ लाना।
दुनिया की इस भीड़ में मैया, मुझको भूल न जाना।।
कोई चढ़ाए सोने का छत्र, कोई लाल चुनरियाँ
जोड़ न पाया धन दौलत, मेरी बीती सारी उमरियाँ
निर्धनता ने घेरा, मुश्किल हुआ भोग चढ़ाना।
दुनिया की इस भीड़ में मैया, मुझको भूल न जाना।।
राह भटक कर मैने पूजा, अर्चन रोज नकारा
पाप कर्म छोड़े नहीं मैनें, लालच का धन डकारा
अपना–पराया भूल गया मैंनें, किसी को ना पहचाना।
मैं बालक हूँ तेरा, मेरे घर में खुशियाँ लाना।
दुनिया की इस भीड़ में मैया, मुझको भूल न जाना।।
आज खुली है आँख मेरी, तेरी चौकी आज लगाई माँ
सत संगत में रहने की मेरी, तुमने आस जगाई माँ
दूर करेगी मन की पीडा, मैनें तुम्हें पहचाना माँ।
मैं बालक हूँ तेरा, मेरे घर में खुशियाँ लाना।
दुनिया की इस भीड़ में मैया, मुझको भूल न जाना।।
© अरविंद भारद्वाज