भोला भाला बचपन
भोला भाला कितना बचपन
होता निश्चल कोमल सा मन
रिमझिम रिमझिम बरखा आई
बच्चों पर मस्ती सी छाई
केले के पत्ते से कितनी
छतरी भी क्या खूब बनाई
भीग गया पर थोड़ा सा तन
भोला भाला कितना बचपन
कंधे पर बस्ता है भारी
भरी किताबें कितनी सारी
भीग गया बस्ता बारिश में
पर मुस्कान खिली है प्यारी
मन मे नहीं जरा है उलझन
भोला भाला कितना बचपन
मम्मी देख पुस्तकें गीली
हुई क्रोध में नीली पीली
मगर हो गई फिर चिंता में
तबियत देख जरा सी ढीली
माँ बिन जीवन कैसा जीवन
भोला भाला कितना बचपन
13-07-2018
डॉ अर्चना गुप्ता