भोला बाल्यपन!
दो नयन कमलों में ओस बूंदों-सी
नन्ही -2 बूंदें गिरी हुई थी
भोले-भाले से बाल मुख पर
श्याममयी उदासी बिखरी हुई थी।
हठ कर रहा बाल
चांद लाने के लिए
बूंदे बरसा रहा लाल
चाँद पाने के लिए।
अकस्मात माँ को एक
युक्ति सूझ आई
जल-भरी थाल में
चन्द्र-आकृति दिखाई।
ये देख शीघ्र ही
खुश हो गया बाल्यमन
क्योंकि यही तो है
भोला बाल्यपन!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
नई दिल्ली-78