भोर
दोहे
भोर सुहानी छा गई ,मिट रहा अंधकार।
रवि रश्मि संग आ गए, फैल रहा उजियार।।
पत्ता पूछे शाख से, कब तक हूं मैं संग ।
मिल जाऊंगा धूल से, बिछड़े तेरा अंग।।
अब चौपाले हैं कहां ,वो पीपल की छांव।
न वो रही पनिहारियां , न राहियों की ठांव ।।
सांझ सकारे श्याम को , कहे भ्रात बलराम।
लुक्का -छुप्पी खेलने, चल बरसाने गांव।।
आंगन खेले लालना, सुखी रहे घर बार।
चंदन झूले पालना, खुशी बढ़े परिवार।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)