भोजपुरी ग़ज़ल
आग नफरत के सगरो बुझावल करीं।
नेह से सबके जिनगी सजावल करीं।
मान राखेला सबके जे हरदम इहाँ-
बाति ओ ही के आपन बतावल करीं।
ना ते दुखवा से घबराइ रउरे सभे-
मन के साहस हमेशा बढ़ावल करीं।
थाम के राखि उम्मीद रउरे तनी-
मन में पसरल अन्हरिया भगावल करीं।
बाँट के नेह “कृष्ना” जगत में इहाँ-
भाव पकठल हिया में जगावल करीं।
कृष्णा श्रीवास्तव
हाटा,कुशीनगर, उत्तर प्रदेश