भोजपुरी देशभक्ति गजल
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हो गइल आजाद जब, भारत ब्रिटिश शैतान से।
हिंद के जयकार गूंजल, खेत से खरिहान से।
जे भइल कुर्बान भारत, भूमि के रक्षा करत।
बा नमन, उनके नमन, शत् शत् नमन, सम्मान से।
बा हिमालय के मुकुट, सागर पखारत पाँव बा,
हिंद के वासी हईं हम, कहि सकेनीं शान से।
चन्द्रशेखर, बोस, गांधी, के ऋणी भारत रही,
देश के रक्षा करत जे, भी गइल बा जान से।
सन् बहत्तर, कारगिल, गलवान सबके याद बा,
शत्रु जब भागल रहल जी, युद्ध की मैदान से।
बा समर्पित रक्त के हर, बूंद हमरो देश पर,
देश खातिर काम आईं, चाह बा भगवान से।
हर घड़ी फहरत रहो, लहरत रहो हर हाल में,
‘सूर्य’ खातिर कीमती, बाटे तिरंगा प्रान से।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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