भोजन ,भक्ति ,भोग
?? आज का मुक्तक??
भोग ,भक्ति, भोजन सदा , फल देते तन्हाई में।
मूर्ख ही इनको करते ,केवल जग दर्शाई में।
मन तुष्ट हो भी जावे , पर इष्ट नहीं हो सकता ,
देता जो बना रोगी , ढोंगी जग हँसाई में।
कलम घिसाई
,
?? आज का मुक्तक??
भोग ,भक्ति, भोजन सदा , फल देते तन्हाई में।
मूर्ख ही इनको करते ,केवल जग दर्शाई में।
मन तुष्ट हो भी जावे , पर इष्ट नहीं हो सकता ,
देता जो बना रोगी , ढोंगी जग हँसाई में।
कलम घिसाई
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