* भैया दूज *
** कुण्डलिया **
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भाई बहना प्रेम का, पावन यह त्योहार।
आता भैया दूज पर, हर्षित पल हर बार।
हर्षित पल हर बार, भावना में बहने का।
एक दूसरे संग, बात कहने सुनने का।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, स्वयं से ऊपर उठना।
निश्छल प्रिय संबंध, निभाते भाई बहना।
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भैया दूज सभी जगह, खूब मनाते लोग।
भाई बहना के लिए, प्रीति भरा संयोग।
प्रीति भरा संयोग, पर्व होता यह पावन।
और तिलक युत भाल, भ्रात का होता रौशन।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, न डोले डगमग नैया।
बहन संग त्योहार, मनाते मन से भैया।
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मुक्तक
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झिलमिल दीपावली में हुए, हर्षित सबके मन।
रंगोली से खूब सजे हैं, सुन्दर घर आंगन।
महक सुहानी है मनमोहक, बिखरी मधुर मधुर।
रंग बिरंगे फूलों जैसे, खिले सभी चितवन।
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ज्योतिर्मय कर देता जग को, हर लेता है तम।
पर्व दिवाली खूब मनाते, सभी भूलकर गम।
पूजन अर्चन भक्ति भाव से, होता घर-घर में।
और शुरू हो जाता इससे, पर्वों का शुभ क्रम।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)