भैंस के आगे बीन बजाना
जिन कानों पर जूँ न रेंगे
क्या भला उन्हें समझाना?
बोल-बोल कर बता-बता कर
केवल अपना मुँह दुखाना
अकर्मण्य की आदत बन गई
उनसे भी क्या कर्म कराना?
वह तो सोए आँख मूंदकर
पानी छिड़क उन्हें जगाना।
बिन चारा के काम न होए
आदत में जो चारा खाना।
तंत्र सजग करना हो जैसे
भैंस के आगे बीन बजाना।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’