भेदभाव एतना बा…
भेदभाव एतना बा…
■■■■■■■■■
दुख में डूबल बाटे कहीं पर जिनिगी त,
कहीं सुखवे के बस बरसे बदरिया।
कहीं भर पेट नाहीं भोजन मिलत हवे,
कहीं मदिरा के छलकत बा गगरिया।
भेदभाव एतना बा मनई आ मनई में,
प्लेन से चले त केहू पैदले डगरिया।
बाकी जन्म आ मरन एक ही समान होला,
कबो तू घमंड के ना जइहऽ पँजरिया।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- ०८/०७/२०२१