भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत।
भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत।
आगे आप निभाना अपनी संपादक की रीत।
चाहो तो दे देना अपनी पुस्तक में स्थान ,
रद्दी की ढेरी में होने देना या अवसान ,
लेकिन कम न होगी अपनी कविताई से प्रीत।
भेज रहा हूँ ——–
गीत कह रहा हूँ लेकिन जो रचनाएँ भेजी हैं,
शब्दों भावों से भरकर सब ललनाएँ भेजी हैं,
गीत कहें, कविता कह लें या कह लें हैं नवगीत।
भेज रहा हूँ ———
पर दावा है महक आप तक निश्चित ही पहुँचेगी,
ह्रदय के इक कोने को तो निश्चित ही रंग देगी,
बन न पाएं चाहे पुस्तक पन्नो के ये मीत।
भेज रहा हूँ ———–।