भूल चुकी हूं
इस दुनिया में
न जाने कितनी दुनियायें
समाई हैं
अब यह कौन सी जगह है
जो तस्वीर में देखकर लगता है कि
इस जगह मैं कभी थी लेकिन
अब पहुंच नहीं पा रही हूं क्योंकि
इस जगह का नाम भूल चुकी हूं
इस तक पहुंचने का रास्ता भूल
चुकी हूं
इसकी हवाओं में जो मैं
गूंजती थी कभी
उस आवाज की पहचान भूल चुकी हूं
मैं अपने पुनर्जन्म को
इस जन्म को
आने वाले समय को
कल, आज और कल को
अपने नाम को
अपने अस्तित्व को
अपनी पहचान को
अपने काम को
अपने मुकाम को
सब कुछ भूल चुकी हूं
मैं दर्द में डूब गई हूं
मैं खुद को
इसको
उसको
सबको
यहां तक की
रब को भूल चुकी हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001