भूल गया कैसे तू हमको
भूल गया, कैसे तू हमको।
क्यों नहीं चिट्टी, लिखता अब तू।।
ऐसे भूलाकर, अपनों को तू ।
चला गया है परदेश, अब तू।।
भूल गया कैसे —————–।।
सबको फिक्र है, तेरी यहाँ तो।
करते हैं तुमको, याद यहाँ तो।।
क्यों नहीं ठिकाना, तेरा बताता।
क्यों नहीं दिखाता, सूरत अब तू।।
भूल गया कैसे —————–।।
तोड़ लिया क्यों, रिश्ता हमसे।
भूल हुई क्या, ऐसी हमसे।।
तुमको क्या है, हमसे शिकायत।
क्यों नहीं आता, मिलने अब तू।।
भूल गया कैसे —————–।।
तुम्हारे बिना, वीरान यह घर है।
हमसे तू लेकिन, क्यों बेनजर है।।
क्या नहीं आती तुमको, याद हमारी।
अपने वतन वापस, आजा अब तू।।
भूल गया कैसे —————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)