भूले बिसरे दिन
“तुम्हें देखे जो मेरी आंखें तो यूँ मुस्कराती है..
बेमौसम में बिन बादल के क्यूँ बरसात लाती है ..
तुम्हारा देखना छुप-छुप के,वो सीहोडे के पीछे से..
ना मिलने के बहाने भी हमें, क्या खूब सताती है “..
“तुम्हें देखे जो मेरी आंखें तो यूँ मुस्कराती है..
बेमौसम में बिन बादल के क्यूँ बरसात लाती है ..
तुम्हारा देखना छुप-छुप के,वो सीहोडे के पीछे से..
ना मिलने के बहाने भी हमें, क्या खूब सताती है “..