|| भूले प्रभु दुखाये ||
डा ० अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक ।। अरुण अतृप्त ।।
करी कृपा प्रभु आपने
दीन्हो भर भंडार ।।
हाँथ जोर मस्तक झुके
नमन करे संसार ।।
तेरा सुमिरन जो करे
सो सुबिधा सब पाये ।।
जो तन जा संसार मा
भूले प्रभु दुखाये ।।
कर कर मेहनत कड़ी
झोली न काहू की भरी।।
कृपा होइ जो श्याम जी
पल में दुविधा हरी ।।
श्याम तोसे प्रीत लगाई
प्रेम सजल सुख पाई ।।
हम हैं बालक आपके
देख देख मुसकाई ।।
श्याम तोहरी बंसी
कोरी बॉस की पोरी ।।
बृज बाला सुन पागल भई
राधा भई पराई ।।
करी कृपा प्रभु आपने
दीन्हो भर भंडार ।।
हाँथ जोर मस्तक झुके
नमन करे संसार ।।
तेरा सुमिरन जो करे
सो सुबिधा सब पाये ।।
जो तन जा संसार मा
भूले प्रभु दुखाये ।।