भूख और प्यास
प्यासे को प्यासा लखै एक बूंद की आस।दो ही चाहत मिलन को मिट जाये प्यास।।जब तक प्यास अधूरी है जब पिलू एक एक बूंद।प्यासे को ही मालूम है की मत एक एक बूंद।। भूख जब लगती है सब कुछ अच्छा लगता है।उसे क्या पता भूख की परिभाषा। जिसने कभी भूख को न देखा